आत्माओं का तांडव
आत्माओं का तांडव
हेलो दोस्तों,
आज में आपके लिए एक और कहानी लेकर आई हूँ। मुझे आशा है आपको मेरे साथ कहानियो की यात्रा करने में अच्छा लग रहा होगा। चलिए बिना देर किये चलते है अपनी कहानी की ओर।
मंटू नाम का एक लड़का था वह परिवार पत्नी और 2 बच्चियों को लेकर आज अपने नए घर में रहने के लिए जा रहे थे। नए शहर में मंटू को अच्छा नहीं लग रहा था मगर सस्ता घर मिलने के कारण उसने यह घर ख़रीदा था। कुछ दिनों तक सब सही चलता रहा।
एक दिन रात के करीब 8 बजे उनके दरवाजे पर किसी ने दस्तक दी। छोटी बेटी ने दरवाजा खोला और देखा बाहर तो कोई भी नहीं था। उसने दरवाजा बंद किया और वापस अंदर चली गई।
थोड़ी देर बाद फिर से दरवाजा खटखटाने कि आवाज सुनाई दी। इस बार मंटू कि पत्नी ने दरवाजा खोला और देखा वहां तो कोई नहीं है। उसने दरवाजा बंद कर दिया।
अचानक उसने देखा एक परछाई उसके पीछे पीछे चल रही है उसने जैसे पीछे मुड़कर देखा वहाँ कोई न था। उसने समझा शायद ये उसका भ्रम है। यह पहली घटना थी जो उसके साथ हुई थी।
इसके बाद जैसे घटनाओ का सिलसिला शुरू हो गया।
अगले दिन उसने देखा कि उसकी बेटी के कमरे से जोर जोर से रोने कि आवाज़ आ रही थी। वहाँ जाकर उसने देखा तो उसकी आखें खुली रह गई। उसकी बेटी ने चारो तरफ लाल रंग फैलाया हुआ था और उसे अपने हाथो पर, अपने चेहरे पर लगा रही थी और जोर जोर से रो रही थी। उसने मंटू को आवाज लगाई। जैसे ही मंटू दौड़कर आया तो देखा वहाँ तो सब कुछ नार्मल है और उसकी दोनों बेटियाँ सो रही है।अब मंटू ने अपनी पत्नी से कहा - माना तुम्हे ये घर पसंद नहीं है मगर अब ये हमारा है और तुम्हे बच्चो के सामने इसके बारे में उल्टी-सीधी बाते नहीं करनी चाहिए। चलो अब चलकर सो जाओ और मुझे भी सोने दो।
मंटू कि पत्नी को अब कुछ अजीब लग रहा था मगर उसने सोचा अगर मंटू को इस बारे में बताया तो बेकार ही नाराज़ होगा इसलिए वह चुपचाप सो गई। थोड़ी देर बाद उसने सुना जैसे सीढ़ियों से कोई छत पर जा रहा है किसी के कदमो कि आवाज वह साफ़ साफ़ सुन सकती थी।
उसने फटाफट जाकर देखा वहाँ कोई न था मगर मिट्टी से सने हुए जूतों कि छाप साफ़ दिखाई दे रही थी। उसने फिर मंटू को बुलाया इस बार मंटू ने भी देखा कि जूतों कि छाप वहां साफ़ दिखाई दे रही थी। उन्होंने छत पर जाकर देखा मगर वहाँ कोई न था।
मंटू भी इस बार सोच में पड़ गया कि बाहर का दरवाजा बंद होने के बाद भी कोई अंदर कैसे आ सकता है क्योकि वहां साफ़ साफ़ जूतों कि छाप दिखाई दे रही थी। अगले दिन मंटू अपने ऑफिस के लिए निकल गया। दोनों बच्चियाँ भी अपने स्कूल चली गई थी।
मंटू कि पत्नी ने सोचा कि अब एक बार वो घर को अच्छी तरह से देखेगी कही बाहर से आने का कोई और रास्ता तो नहीं है। वह एक कमरे में गई। उसने देखा कि एक परछाई उसके पीछे खड़ी थी। उसने मुड़कर देखा वहाँ कोई न था मगर निचे उसकी परछाई साफ़ दिखाई दे रही थी।
वह दौड़कर वहाँ से बाहर आई तो बाहर का नज़ारा देखकर उसकी आँखे फटी कि फटी रह गई। वहाँ एक नहीं बाकि 10-12 परछाई घूम रही है। ऐसा लग रहा है जैसे कई सारी आत्माएं तांडव कर रही है।चारो तरफ शोर गुल हो रहा है।
उसने देखा एक छोटी बच्ची कि परछाई उसकी साड़ी को पकडे खड़ी है वह डर गई। और उसके कमरे में 2 लोग बैठे है ।
वह उन दोनों लोगो को देख सकती थी उनके चेहरे पर अजीब सी डरावनी सी स्माइल थी। उनकी आखें एकदम लाल थी। यह देख वह तुरंत बाहर कि तरफ भागी।
वह भाग कर सीधे चर्च के पादरी कर पास गई और सब बाते उन्हें बताई ? पादरी समझ गए की यहां ज़रूर भूत प्रेत का चक्कर है। उन्होंने अपने ध्यान और ज्ञान से पता लगाया वहां बहुत साल पहले एक पूरे परिवार ने जादू-टोने की विद्या सिखने के चक्कर में अपने ही परिवार को ख़त्म कर लिया था और उन्ही की आत्मा वहां भटक रही है। पादरी ने महिला से बताया की आपके घर का शुद्धिकरण करना पड़ेगा क्योकि वहां एक या दो नहीं बल्कि 15 सदस्यों के पूरे परिवार की आत्माएं भटक रही है।
चुलबुली - https://kahaniyokiyaatra.blogspot.com/2023/01/blog-post.html
इसके बाद मंटू और उसकी पत्नी ने पादरी जी के साथ मिलकर घर का शुद्धि करण कराया और उन सारी आत्माओं को मुक्ति दिला कर घर को शुद्ध किया।
अब मंटू और उसका परिवार ख़ुशी ख़ुशी वहां रहने लगा।
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