कोठी में कौन है? ll
हलो दोस्तों,
आज में आपको अपनी एक कल्पना से मिलवाना चाहती हूँ। यह मात्र मेरी एक
कल्पना है। आपसे विनती है की अगर आपको मेरी पोस्ट पसंद आये तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर करे।
एक गांव था उसके बारे में कुछ अजीबो- गरीब बाते हमेशा सुनने में आती रहती थी। पिछड़ा और पुराना सा गांव ।
गांव के बारे में लोगो ने बहुत अफवाहे फैला रखी थी और गांव में हो रही अजीबो गरीब बातो की वजह से वह गांव बहुत पिछड़े हुए इलाके में आ गया था।
गांव का एक छोटा सा हिस्सा जिसमे एक पुरानी जर्जर कोठी थी और अँधेरे में ऐसा लगता था जैसे उस कोठी के अंदर से हमेशा किसी की आँखें आपको देख रही है।
पुरानी और जर्जर हो चुकी वो कोठी देखने में काली सी लगती थी क्योकि इतने सालो से वहां जाना तो दूर कोई देखना पसंद नहीं करता था।
गांव के इतने किस्से सुनकर गांव के बाहर से कुछ रिपोर्टर्स ने सोचा की भूत- प्रेत से सम्बंधित कोई सनसनी खेज खबर उन्हे मिल जाएगी जिससे उनका प्रमोशन हो जाये या कोई बड़ी पोस्ट उन्हे मिल जाये।
यही सोचकर 4 रिपोर्टर दोस्त कहानी की खोज में वहां गए।
गांव जाने पर वहां के लोगो ने सारी बाते बताई।
उनमे से एक बुज़ुर्ग व्यक्ति बोला " हमे इसके बारे कुछ ज़्यादा नहीं पता मगर एक बाबा को में जनता हूँ जो इसके बारे में कुछ न कुछ तुम्हे ज़रूर बता देंगे।
और उस बुज़ुर्ग ने हमे एक पता दिया।
अगली सुबह हम दूसरे गांव उस पते पर गए ।
पूछताछ करने पर हमे पता चला कि बाबा बिल्कुल अकेले और अपने घर के सामने बैठे रहते है ।
हम उस जगह गए । वहाँ एक बुज़ुर्ग एक नीम के पेड़ के निचे बैठा था ।
चारो में से एक व्यक्ति बोला- बाबाजी हमे इस पते पर जाना है।
क्या आप बता सकते है ये कहाँ है ?
बूढ़े व्यक्ति ने पता देखा और कहा - तुम्हे इससे क्या काम है बताओ ?
उनमे से फिर एक बोला हमे इनसे कोठी के बारे में बहुत ज़रूरी बात करनी है प्लीज हमे बता दीजिये ये पता कहाँ है ???
तुम सब कौन हो और कहाँ से आये हो? भूल जाओ कोठी और चले जाओ यहाँ से।
एक व्यक्ति बोला प्लीज हमे बता दीजिये ये पता कहाँ है ???
बूढ़े व्यक्ति ने पेड़ के पास उन चारो को बिठाया और पूछा तुम्हे इसके बारे म क्या और क्यों जानना है ?
जहाँ तक में समझता हूँ तुम्हे इन सब बातो में नहीं जाना चाहिए क्योकि जो भी इसके बारे में तहकीकात करता है वो न जाने कहाँ गायब हो जाता है किसी को नहीं पता।
गांव वालो ने तुम्हे ये तो बता ही दिया होगा की इस कोठी का राज जानने जितने लोग आये है वो सभी कहाँ लापता हो गए आज तक किसी को नहीं पता।
चारो में से एक बोल " बाबा हमे सबने बताया काम और डराने की कोशिश ज़्यादा की"।
कुछ लोग हमे कुछ बताना नहीं चाहते और जो लोग बता रहे है वो भी कुछ अधूरा सा सच लगता है।
"अधूरी सी बात" कुछ तो जो अधूरा है"
दूसरा लड़का बोला- "बाबा आप यहाँ के सबसे बुज़ुर्ग व्यक्ति लग रहे हो "
"प्लीज बाबा जी हमारी मदद करो"
हमे इसके बारे में बताओ की आखिर क्या है इस कोठी में ?
बूढ़ा व्यक्ति कुछ घबराई सी आवाज में बोला ' तुम लोगो सी समझ में नहीं आ रहा में तुम्हे मुसीबत से बचाना चाहता हूँ।
"यहाँ से चले जाओ " वार्ना बहुत पछताओगे "
चारो में से एक और व्यक्ति बोला " तुम्हे कुछ भी नहीं पता तो ऐसे ही बोल दो हमारा समय ख़राब मत करो।
बूढ़े व्यक्ति ने अब गुस्से में बोला " तुम्हारा समय ख़राब न हो इसलिए ही में तुमेह बचाना चाहता हूँ तुम खुद अपने समय को ख़राब करके खतरे को बुला रहे हो "
"चले जाओ यहाँ से में इस बारे में कुछ नहीं जनता"
चौथा व्यक्ति हाथ जोड़ते हुए बोला "बाबा जी नाराज़ मत होइये "
हमे पता है "आप बुज़ुर्ग हो समय की परिभाषा आप हमसे बेहतर जानते हो मगर बाबा जी हमारे लिए इस कोठी के बारे में जानना बहुत ज़रूरी है वार्ना हमारी नौकरी चली जाएगी और दूसरी नौकरी ढूंढना आसान नहीं है।
हमारे बाल बच्चे भूखे मर जाएंगे बाबा जी "
प्लीज हमे बता दीजिये।
बूढ़ा व्यक्ति उन सब की बातें सुन रहा था ' लगातार चारो व्यक्ति बूढ़े व्यक्ति को मनाते रहे ताकि वो सारा सच उन चारो को बता दे।
"मै कुछ नहीं जनता " यह बोलकर बूढ़ा व्यक्ति वहाँ से उठकर जाने लगा क्योकि उसे लगा की अगर थोड़ी देर और वह वहां रुका तो सच संभालना मुश्किल हो जायेगा।
सबके रोकने पर भी वह नहीं रुका और चला गया।
चारो व्यक्ति ये समझ चुके थे की अगर सच तक कोई ले जा सकता है तो वह यही व्यक्ति है।
चारो ने अगले दिन फिर बूढ़े बाबा के घर मोर्चा बोल दिया। बाबा ने बहुत मना किया मगर चारो व्यक्ति की ज़िद के आगे उन्हें झुकना पड़ा और वो सब सच बताने को तैयार हो गए।
बाबा ने बताना शुरू किया।
ये बात उस ज़माने की है जब में और मेरे पिताजी और माँ के साथ इस गांव में आया था। हमारे यहाँ आने से पहले ही गांव में इस कोठी के चर्चे सब तरफ थे।
मेरे पिताजी मुनीम हुआ करते थे उस जमाने में।
मेरे पिताजी को यहाँ एक घर रहने के लिए उनके मालिक ने दिया था।
सब कुछ ठीक चल रहा था एक दिन मेरे पिताजी ने बताया की उन्हें कोठी की सफाई करानी होगी क्योकि उनके मालिक को कोठी के बदले अच्छे पैसे मिल रहे थे।
मेरे पिताजी ने उसी दिन से सफाई कराने का काम शुरू करवा दिया।
मैने पिताजी से ज़िद की 'कि मुझे उस कोठी में जाना है और कोठी देखनी है।
मगर पिताजी ने मना कर दिया क्योकि पहले से ही कोठी के बारे में इतनी बातें फैली हुई थी कि पिताजी नहीं चाहते थे कि कोई मुसीबत हमारे गले पड़े।
पिताजी ने साफ़ मना कर दिया कि वहाँ नहीं जाना है और उस कोठी के बारे में अब कोई बात नहीं होगी।
एकदिन बहुत अजीब सी बात हुई मेरी माताजी ने पिताजी से टेलीफ़ोन पर बात की और पूछा की आप कितने बजे तक घर आएंगे।
पिताजी ने कहा "अब में घर नहीं आऊंगा मेरे मालिक ने मुझे अभी दूसरे देश निकलने को कहा है।
माँ घबरा गई और पूछा की क्या हुआ आप ऐसे क्यों बोल रहे है और कहाँ जा रहे हो आप ?
इतने में फ़ोन कट गया।
अब माँ और ज़्यादा घबरा गई इतने में घर का दरवाजा किसी ने खटखटाया "
मैने पूछा कौन है ?
फिर किसी ने दरवाजा खटखटाय ,,,
मैने फिर पूछा कौन है और यही पूछते हुए दरवाजा खोला।
मैने देखा पिताजी दरवाजे पर बेहोश पड़े हुए थे मैने हड़बड़ाते हुए अपनी माँ को आवाज लगाई।
मेरी माँ झटपट आई और सामने पिताजी को ऐसी हालत में देखकर बोली "क्या हुआ इन्हे और कैसे गिर गए ये ?
इतनी जल्दी में मुझे कुछ समझ नहीं आया मैने बोला माँ पहले पिताजी को उठाइये।
हम दोनों जैसे तैसे पिताजी को अंदर कमरे में ले गए।
उस समय लाइट बहुत काम आती थी ।
कमरे में अँधेरा था मैने एक लैंप जलाया और पिताजी के पास बैठ गया।
माँ का रो - रो बुरा हाल था।
ये सब इतनी जल्दी हुआ की हमे कुछ समझ नहीं आया की ये सब क्या हो रहा है ?
इतने में टेलीफ़ोन की घंटी बजी।
मैने जाकर टेलीफ़ोन उठाया।
मैने पूछा हेलो कौन है ??
उधर से आवाज आई बेटा में हूँ तुम्हारे पिताजी अपनी माँ को बुलाओ ज़रा कुछ ज़रूरी बात करनी है।
ये सुनकर में स्तम्भ रह गया मेरी आखों के सामने अँधेरा सा छा गया। टेलीफ़ोन हाथ से छूट गया।
में वही गिर पड़ा। माँ इतने में दौड़कर आई।
फिर मुझे कुछ याद नहीं ??
कुछ समय बाद जब मुझे होश आया मैने देखा माँ कमरे में नहीं है और पिताजी अपने हाथो से मेरे पैर में पायल बांध रहे है।
में कुछ घबराकर उठा।
और माँ को बुलाने लगा और मैने माँ को आवाज लगाई।
माँ का कोई भी जवाब नहीं मिला। मैने उठ गया पिताजी ज़बरदस्ती मुझे बिस्तर पर बिठाकर पायल पहना रहे थे और कुछ बड़बड़ा रहे थे "
"मेरी बेटी" में तुझे कभी अपने से दूर नहीं जाने दूंगी। बेटी हम हमेशा साथ रहेंगे।
मेरे डरते हुए फिर से माँ को आवाज लगाई।
मुझे महसूस हुआ कोई मेरा हाथ खींच रहा है।
एकदम से मेरी आँख खुल गई।
में चौक गया।
माँ मेरे पास बैठी हुई थी।
में जल्दी से उठा और माँ का हाथ पकड़ लिया '
मेरी माँ ने पूछा क्या हुआ बेटा'
"'मैने बोला माँ वो पिताजी ''
माँ ने मेरी बात काटते हुए बोला हाँ - हाँ मुझे पता है पिताजी ने वादा किया है की तुम्हे शाम तक एक नया कुरता ला देंगे।
माँ को हस्ते हुए देख मैने बोला' माँ पिताजी कहाँ है ? वो मुझे ज़बरदस्ती पायल पहना रहे थे मुझे उनसे बात नहीं करनी है।
माँ ने जवाब दिया अरे ! अभी तो दोपहर है पिताजी शाम को आएंगे और तुम्हारे लिए पायल नहीं कुरता लाएंगे ।
मैने सोचा ये सब क्या हो रहा है अभी तो शाम थी और यहाँ अँधेरा ही अँधेरा था और अब बाहर इतनी धूप निकल रही है।
माँ ने बोला सुबह का नाश्ता करके में कमरे में आया और वही सो गया।
में एकदम चौक गया ये सब क्या हो रहा है ??
माँ ने कहा उठो अब बेटा मुझे सब्जी लेने के लिए जाना पड़ेगा तुम्हारे पिताजी को देर हो जाएगी इसलिए उनके आने से पहले में खाना तैयार कर लेती हूँ।
माँ बाहर चली गई सब्जी लेने।
मुझे लगा में सपना देख रहा था और ये सब सपने में हो रहा था।
में जैसे ही उठकर दरवाजे की तरफ आया किसी ने दरवाजा खटखटाया।
में डर सा गया। फिर भी दरवाजा खोला।
देखा बाहर पिताजी खड़े थे।
अब तो मेरे डर का ठिकाना नहीं रहा और में ज़ोर से माँ को आवाज़ देने लगा।
पिताजी ने बोला अरे बेटा क्या हुआ। चिल्ला क्यों रहे हो ??
में लगातार चिल्लाये जा रहा था और माँ को पुकार रहा था।
इतना शोर सुनकर हमारे पडोसी मेरे घर के अंदर आने लगे।
में बस माँ को बुलाये जा रहा था।
किसी ने कहा बेटा माँ यही होंगी तुम्हे क्या हुआ है ??
मैने अंदर इतना डर था की में बेहोश हो गया।
पिताजी शायद मुझे अंदर कमरे में लेकर गए पिताजी ने मेरे ऊपर पानी छिड़का तब मुझे कुछ होश सा आया और मैने देखा माँ तो अंदर बैठी थी। और सब्जी काट रही थी।
ये सब क्या हो है।
मेरे कुछ समझ में नहीं आया। अब में क्या करू??
पिताजी या माँ किसके पास जाऊ ??
में घबरा गया और बहुत ज़्यादा घबरा गया। कुछ होश नहीं था ये सब क्या हो रहा है।
तब मेरे मित्र ने मुझे जगाया।
मैने धीरे धीरे अपनी आखें खोली।
वहाँ मेरा मित्र खड़ा था।।
अब में फिर चौक गया।
ये क्या हुआ??
आत्माओ का तांडव - https://kahaniyokiyaatra.blogspot.com/2023/01/blog-post_26.html
पूरी तरह होश में आया तो मुझे मेरे मित्र ने याद दिलाया की हम पिताजी से छुपकर यहाँ कोठी देखने आये थे। पिताजी ने यहाँ आने के लिए मना किया था।
मतलब में सपना देख रहा था ??
मेरे दोस्त ने बोला तुम्हे यहाँ लेटे लेटे 4 घंटे हो गए है।
में चौक गया ।
क्या चार घंटे ??
में अब पहले वहाँ से निकलना चाहता था इसलिए अपने मित्र का हाथ पकड़कर उठा और जल्दी बाहर आया।
मैने अपने मित्र से पूछा हम यहाँ कब आये ?
उसने मुझे बताया की मेरे कहने पर हम सुबह नाश्ता करके यहाँ आये थे।
जब इस कोठी में अंदर आये तो में किसी को देख कर बेहोश हो गया था और तब से वो मुझे उठाने की कोशिश कर रहा था।
मुझे कुछ याद सा…. एक औरत की आँखे कुछ याद सी आई।
हम जल्दी बाहर गए और मैने अपने मित्र से बोला हम अब कभी यहाँ नहीं आएंगे।
घर जाकर मैने अपने पिताजी और माताजी को देखा । तब मैने रहत की साँस ली।
पिताजी माँ से बात कर रहे थे की अब हमें दूसरे शहर जाना पड़ेगा क्योकि कोठी वाला काम उनके मालिक ने किसी और को सौंप दिया है और उन्हें उनके पुराने वाले काम पर वापस जाना पड़ेगा।
अब में कभी दुबारा वहाँ नहीं जाना चाहता था और इस बारे में कभी पिताजी और माँ को नहीं बताया।
हम दूसरे गांव आ गए।
यह राज एक राज है की आखिर कोठी में कौन है?
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